Bharat Mahima | भारत महिमा | mrsuryawanshi.com
नमस्ते पाठकों,
भारत महिमा ( Bharat Mahima ) इस ब्लॉग में ' मेरा भारत महान ' ( Mera Bharat Mahan ) इस कथन का वर्णन करने का एक प्रयास किया गया है । हमारा भारत देश, हमारें राजा-महाराजा, साधु-सन्यासी, और महात्माओं का जितना वर्णन करें उतना कम होगा । इस ब्लॉग को पढ़ने के उपरांत आप फिर से एक बार कह उठेंगे मेरा भारत महान
भारत महिमा | Bharat Mahima
भारत के इतिहास को कुछ चुनिंदा वाक्यों में बताना संभव नहीं है । फिर भी हम भारत के इतिहास को संक्षिप्त में बताने का प्रयास जरूर कर सकते हैं ।
भारत को खोजने का प्रयास अनेकोने किया । क्रिस्टोफर कोलंबस भारत की खोज करने के लिए निकले थे । उन्होंने एक ज़मीन खोजी भी थी , उन्हे अंत तक यही लगा कि वे भारत की खोज में सफल हुए परंतु वह भारत की बजाय अमेरिका खोज बैठे । भारत को खोजने का श्रेय वास्को द गामा को जाता है । वैसे भारत कही खोया हुआ नहीं था । भारत अपनी जगह पर ही था । वह लोग भारत आने का रास्ता खोज रहे थे । ऐसा क्यों ? क्योंकि भारत हिरे, सोने, रेशम, और मसाले से सजी हुई धरती थी ।
भारत वह धरती है जहाँ स्त्री की अब्रु पर हाथ डालने के कारणवश पाँच पांडवो ने अपने सौ भाईयों का वध कर डाला । भारत वह भूमि है जहाँ सत्ता राजगद्दी पाने हेतु औरंगजेब ने अपने सभी भाईयों का वध किया । भारत वह धरती हैं जहाँ राजाओं ने अपना राजपाठ और मानवों का वध छोड़कर संन्यासी ( भिक्षुक ) जीवन बिताते हुए अहिंसा की शक्ति का परिचय कराया । भारत वह धरती हैं जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज जी जैसे महायोद्धा ने जन्म लिया । जिनकी तारीफ़ उन्ह के जानी दुश्मन राजाओं ने भी की । जिनकी युद्ध नीति पर आज भी विदेशों में पाठ पढ़ाए जाते हैं । भारत में ऐसे मुस्लिम राजा हुए जिन्होंने अपने राज्य में हिंदू प्रजा के लिए मंदिर बनाए और ऐसे हिंदू राजा भी हुए जिन्होंने अपने राज्य में मस्जिद भी बनवाई ।
कमजोर समझी जानेवाली औरतों ने भी नाजुक चूड़ियों को छोड़कर एकता और निडरता के गहनों से सझकर धरती को लहुलुहान करनेवाले सम्राट अशोक को तलवार छोड़ने पर मजबूर कर दिया ।
हमारी भारत भूमि का इतिहास अस्त्र - शास्त्रों तक ही सीमित नहीं है। बिना किसी हत्यार के भी जुल्म के ख़िलाफ़ लड़कर डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जी ने विश्व में अपना और अपने देश का नाम रोशन किया । गणित की जटिल प्रकिया को आसान करने वाले आर्यभट्ट ने भी हमारी ही धरती पर जन्म लिया । हमारी ही धरती पर दान वीर कर्ण ने जन्म लिया जिन्होंने अपनी जान दान में दे दी ।
बड़े तो बड़े इस धरती के बच्चों ने भी अपने साहस का लोहा मनवाया । महाबली योद्धाओं से भरे चक्रव्युह को नष्ट करने का प्रयास अकेले बालक अभिमन्यु ने किया ।
बालक एकलव्य ने अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए गुरु दक्षिणा के रूप में अपने हाथ का अंगूठा काटकर अपने गुरु के चरणों में रख दिया।
इस भूमि के पास अपना जितना था जो था वह सब देती रही । चाहे लोग पाक हो या नापाक इस धरती ने कभी भी किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया ।
पढ़ने हेतु:
- स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
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