Vriksha Aur Panchhi Ke Bich Ka Samvad | वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद
वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद लिखो | Vriksha Aur Panchhi Ke Bich Ka Samvad | Gaon Shahar Kavita Swadhyay
वृक्ष: अरे! पंछी दादा आप, मैं ठीक हूँ; आप कैसे हो ? बड़े दिनों बाद आना हुआ ।
पंछी: मैं भी ठीक हूँ भाई । दस साल बाद हम मिल रहे हैं ना ।
वृक्ष: हाँ दादा ।
पंछी: इन दस सालों में यहाँ सब कुछ बदल गया है । सब कुछ अजीब लग रहा है ।
वृक्ष: हाँ दादा, सब कुछ बदल गया है ।
पंछी: मेरा पूरा बचपन यहीं गुजरा था फिर भी मैं यहाँ आते – आते रास्ता खो गया था ।
वृक्ष: समझ सकता हूँ दादा । यहाँ जो कुछ पेड़ नज़र आ रहे हैं, हम आखरी साक्षीदार दार हैं; इस बदलाव के ।
पंछी: क्या कह रहे हो भाई? मैं समझा नहीं ।
वृक्ष: हमारे इर्द - गिर्द आपको बॉर्डर नजर आ रही है ?
पंछी: हाँ, दिख तो रही है ।
वृक्ष: अर्थात् जंगल के हम ही कुछ आखरी वृक्ष बचे हैं । बस कुछ दिनों बाद हमें भी काट दिया जाएगा । यहाँ एक ऊँची बिल्डिंग बनने की बात हमने सूनी है ।
पंछी: क्या कह रहे हो भाई; सुनकर बहुत दुख हुआ ।
वृक्ष: अरे! पंछी दाद आप तो रोने लगे । आँसू मत बहाओ, मुझे दुख होगा । मैंने, मेरे अपनो पर कुल्हाड़ी के घाव होते देखा है; उनकी दर्द से चींखती आवाज़ें आज भी मेरे कानो में गूंज रही हैं । अपनो की मौत से मैं इतना पत्थर दिल हो चुका हूँ कि अब मुझे मरने का कोई भय नहीं है । मैं मृत्यु की ही प्रतीक्षा कर रहा हूँ भाई; इसलिए आप आँसू मत बहाओ ।
पंछी: कल का छोटा - सा मेरा भाई आज इतना हिम्मत वाला हो गया है; यह महसुसकर खुश हूँ । आप के साथ बिताए हुए सारे पल बहुत हसीन थें भाई ।
वृक्ष: आप का साथ भी बहुत यादगार रहेगा दादा ।
पंछी: चलता हूँ भाई, खयाल रखना; शायद यह हमारी आखरी मुलाकात हो ।
वृक्ष: शुक्रिया ! दादा आप के आने से खुशी हुई । ऐसे ही खुशियाँ बाँट ते रहना । अपना और अपने परिवार का खयाल रखना । संभलकर जाना दादा ।
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