Vriksha Aur Panchhi Ke Bich Ka Samvad | वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद

४. गाँव-शहर इस कविता का स्वाध्याय के अंतर्गत आया प्रश्न वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद का एक उदाहरण उत्तर यहाँ देने का प्रयास किया गया है । दिए गए संवाद लेखन को पढ़ कर आप स्वयं का उत्तर बनाने का प्रयास कर सकते हैं

Vriksha Aur Panchhi Ke Bich Ka Samvad | वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद

वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद लिखो | Vriksha Aur Panchhi Ke Bich Ka Samvad | Gaon Shahar Kavita Swadhyay 


उत्तर: पंछी: वृक्ष भाई, कैसे हो ?

वृक्ष: अरे! पंछी दादा आप, मैं ठीक हूँ; आप कैसे हो ? बड़े दिनों बाद आना हुआ ।

पंछी: मैं भी ठीक हूँ भाई । दस साल बाद हम मिल रहे हैं ना ।

वृक्ष: हाँ दादा ।

पंछी: इन दस सालों में यहाँ सब कुछ बदल गया है । सब कुछ अजीब लग रहा है ।

वृक्ष: हाँ दादा, सब कुछ बदल गया है ।

पंछी: मेरा पूरा बचपन यहीं गुजरा था फिर भी मैं यहाँ आते – आते रास्ता खो गया था ।

वृक्ष: समझ सकता हूँ दादा । यहाँ जो कुछ पेड़ नज़र आ रहे हैं, हम आखरी साक्षीदार दार हैं; इस बदलाव के ।


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पंछी: क्या कह रहे हो भाई? मैं समझा नहीं ।

वृक्ष: हमारे इर्द - गिर्द आपको बॉर्डर नजर आ रही है ?

पंछी: हाँ, दिख तो रही है ।

वृक्ष: अर्थात् जंगल के हम ही कुछ आखरी वृक्ष बचे हैं । बस कुछ दिनों बाद हमें भी काट दिया जाएगा । यहाँ एक ऊँची बिल्डिंग बनने की बात हमने सूनी है ।

पंछी: क्या कह रहे हो भाई; सुनकर बहुत दुख हुआ ।

वृक्ष: अरे! पंछी दाद आप तो रोने लगे । आँसू मत बहाओ, मुझे दुख होगा । मैंने, मेरे अपनो पर कुल्हाड़ी के घाव होते देखा है; उनकी दर्द से चींखती आवाज़ें आज भी मेरे कानो में गूंज रही हैं । अपनो की मौत से मैं इतना पत्थर दिल हो चुका हूँ कि अब मुझे मरने का कोई भय नहीं है । मैं मृत्यु की ही प्रतीक्षा कर रहा हूँ भाई; इसलिए आप आँसू मत बहाओ ।

पंछी: कल का छोटा - सा मेरा भाई आज इतना हिम्मत वाला हो गया है; यह महसुसकर खुश हूँ । आप के साथ बिताए हुए सारे पल बहुत हसीन थें भाई ।

वृक्ष: आप का साथ भी बहुत यादगार रहेगा दादा ।

पंछी: चलता हूँ भाई, खयाल रखना; शायद यह हमारी आखरी मुलाकात हो ।

वृक्ष: शुक्रिया ! दादा आप के आने से खुशी हुई । ऐसे ही खुशियाँ बाँट ते रहना । अपना और अपने परिवार का खयाल रखना । संभलकर जाना दादा ।


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