Independence Day Speech | Swatantrata Diwas Par Bhashan | Speech In Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर भाषण | Swatantrata Diwas Par Bhashan | Independence Day Speech In Hindi |


यहाँ पर उपस्थित मान्यवरों, आदरणीय गुरूजनों और मेरे सहपाठियों को आज़ादी की ढेर सारी शुभकामनाएँ

आज ही के दिन अर्थात् १५ अगस्त, १९४७ को हम अंग्रेजों से आज़ाद हुए थे । १९४७ से लेकर आज २०२३ तक आजादी को ७६ वर्ष पूर्ण होते हैं। इन ७६ वर्षों में हमें यही सिखाया गया है कि हम अंग्रेजों के गुलाम थे । हमें अंग्रेजों से आजादी मिली हैं । यह आज़ादी पाने के लिए हमें काफी संघर्ष करना पड़ा है । सब कुछ मान्य है परंतु क्या हमने कभी यह सोचा है कि यह सोने की चिड़िया अंग्रेजों के चंगुल में कैसे फस गई ? महान संतों और पराक्रमी राजाओं का यह देश गुलाम कैसे हुआ ? कारण बहुत हो सकते है; परंतु इस गुलामी का मुझे जो कारण लगता है यह बताने के लिए मैं आज यहाँ उपस्थित हूँ । मेरे विचार व्यक्त करने से पहले मैं आप से एक सवाल करना चाहूंगा, सोचकर देखना । सवाल यह है कि अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाया था या हम स्वयं अंग्रेजों के गुलाम बने थे ?


Independence Day Speech In Hindi

Independence Day Speech In Hindi | Swatantra Diwas Par Bhashan | स्वतंत्रता दिवस पर भाषण 

हम जिस राज्य में रहते हैं उसे महाराष्ट्र कहते हैं । इस राज्य में एक राजा हुए जिन्हे महाराष्ट्र के लोग भगवान की तरह पूजते हैं । उन्ह का नाम है छत्रपति शिवाजी महाराज । छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की भावना हमारे अंदर जगाई । जब तक जिंदा थे तब तक हमें दुश्मनों से बचाया । शिवाजी महाराज एक महान राजा थे । सवाल यह हैं कि इतने महान राजा का राज्याभिषेक होने से रोकने वाले वे कौन थे ? अर्थात् इस महान राजा को राजा बनने से रोक कौन रहा था ? क्या वे अंग्रेज थे या हमारे अपने भारतीय थे ?

छत्रपति शिवाजी महाराजू जितना ही महान उनका बेटा छत्रपति संभाजी महाराज थे । छत्रपति संभाजी महाराज को तड़पा - तड़पा कर मारने के लिए सबसे पहले उन्ह के हाथों और पैरों के नाखून खींचे गए, उन्ह के आँखों में गरम सलिया डाला गया, उन्ह के बदन से चमड़ी खेंच कर बदन पर मिर्ची का पावडर छिड़का गया, अंत में उन्ह की गर्दन छाँटी गई । सवाल यह है कि छत्रपति संभाजी महाराज का पता दुश्मनों को बताने वाला वो कौन था ? छत्रपति संभाजी महाराज को इतनी दर्दनाक मौत देने वाले वे कौन थे ? क्या वे अंग्रेज थे या हमारे अपने भारतीय ?

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१७५७ में हुआ प्लासी का युद्ध भारत के लिए एक अभिशाप माना जाता है । इस युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से हार गए थे । भारत को गुलाम बनाने की नीव इसी युद्ध के बाद से पड़ी थी । व्यापार के उद्देश्य से आई यह कंपनी प्लासी के युद्ध के बाद भारत में राज करने लगी थी । सवाल यह है कि बंगाल नवाब सिराजुद्दौला को हराने वाले वे कौन थे ? क्या वह अंग्रेजों से हारे थे या उन्हें हराने में अपने भारतीयों का हाथ था ?

कहा जाता है कि हम १८५७ में ही अंग्रेजों से आजाद हो जाते, एक औरत अपने दोनो हाथों में तलवार लिए अपने घोडे की लगाम अपने मुँह में पकड़े हुए अपने छोटे से बच्चे को अपनी पीठ पर बांधे हुए अंग्रेजों से लड़ रही थी । सवाल यह है कि झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई को साथ न देने वाले वे कौन थे ? लक्ष्मीबाई के साथ छल- कपट करने वाले वे कौन थे, हमारी आजादी रोकने वाले वे कौन थे ? क्या वे अंग्रेज थे, या हमारे अपने भारतीय ?

छत्रपति शिवाजी महाराज को राजा बनने से रोकने वाले वे लोग, छत्रपति संभाजी महाराज का पता बताने वाला गणोजी शिर्के, सिराजुद्दौला को हराने में मदद करने वाला उन्ही का सेनापति मीर जाफर, और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से छलकपट करने वाला जीवाजी राव सिंधिया । सभी अपने थे, सभी भारतीय थे; इसलिए अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाया था यह कहना अनुचित है, अंग्रेज तो सिर्फ 3०० थे. उन्ह में इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वे हमें गुलाम बना पाए लेकिन फिर भी हम अंग्रेजों के गुलाम बन गए ।

मित्रों गुलामी कभी बताकर नहीं आती की वह आ रही है । देश में फैली हुई नफरत, जाती का अहंकार धार्मिक कट्टरता, ऊँच-नीच की भावना, राज्यों के बीच का सिमाविवाद, व्यक्तिगत स्वार्थ, लालच आदि ऐसे कारण है जिस से देश में एकता नहीं पनपती । यह छोटे- छोटे कारण उस छोटे से दीमक की तरह है जो विशाल लकड़ी को अंदर ही अंदर खा कर खोखला कर देता है ।

सम्राट अशोक के समय में जितना भारत हमारे पास था अब उतना भारत हमारे पास नहीं हैं और ना हम उस भारत को वापस पा सकते हैं; परंतु आजादी कि इस ७६ वे पावन अवसर पर हम यह जरूर सोच सकते है कि हमें दीमक बनकर अपने ही देश को, अंदर ही अंदर खोखला बनाना है या दिमकी विचारों का सर्वनाश कर हमें अपनी भारत माता को एक नए

मुकाम पर ले जाना है । विचार सर्वस्वी हमारा होगा एक नए विचार के साथ मैं फिर से एक बार आप सभी को आजादी की ढेर सारी शुभकामनाएँ देता हूँ ।


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