Giridhar Nagar Class 10 Question Answers | गिरिधर नागर प्रश्न उत्तर कक्षा १० वीं |
गिरिधर नागर स्वाध्याय | Giridhar Nagar Swadhyay
नमस्ते पाठकों,
इस ब्लॉग में आपको कक्षा १० वीं की कविता गिरिधर नागर का स्वाध्याय दिया गया है । दिए गए उत्तरों को पढ़कर अपने स्वयं के उत्तर बनाने का प्रयास कीजिए ।
गिरिधर नागर स्वाध्याय | Giridhar Nagar Swadhyay
सूचनानुसार कृतियाँ कीजिए -
(१) संजाल पूर्ण कीजिए
होली के समय आनंद निर्मित करने वाले घटक -
१) गुलाल
२) पिचकारी
३) करताल
४) पखावज
(२) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए
कन्हैया की विशेषताएँ
१) वे गिरिधर हैं ।
२) वे गोपाल हैं ।
३) उनके सिर पर मोर पंख का मुकुट है ।
४) वे मीरा के पति ( तारणहार ) है ।
(३) इस अर्थ में आए शब्द लिखिए
१) दासी - अर्थ - शब्द - चेरी
२) साजन - अर्थ - शब्द - पिव
३) बार-बार - अर्थ - शब्द - बेर - बेर
४) आकाश - अर्थ - शब्द - अंबर
(4) कन्हैया के नाम
१) गिरिधर
२) गोपाल
५) दूसरे पद का सरल अर्थ लिखिए
( दूसरा पद : हरि बिन कूण गति मेरी .... दासी मीरा राम रटत है मैं सरण हूँ तेरी । )
उत्तर : दूसरे पद में संत मीराबाई अपने प्रभु श्री कृष्ण से संसार के विषय में बता रही हैं । उनका कहना है कि यह संसार विकृत है । इस संसार ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है । मेरी रक्षा की प्रार्थना लेकर मैं आपके शरण में आई हूँ ।
निम्नलिखित शब्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए तथा उचित शीर्षक दीजिए :
अलमारी, गिलहरी, चावल के पापड़, छोटा बच्चा
शीर्षक : अलमारी का राज़
एक गाँव में एक छोटा बच्चा था, जिसका नाम रोहन था । रोहन की गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं और वह अपनी दादी के घर आया हुआ था । दादी का घर बहुत बड़ा और पुराना था, जिसमें कई दिलचस्प चीजें थीं । लेकिन सबसे रहस्यमयी थी दादी की पुरानी अलमारी ।
एक दिन रोहन को अलमारी के पास एक छोटी सी आवाज़ सुनाई दी । उसने ध्यान से सुना और पाया कि आवाज़ अलमारी के अंदर से आ रही थी । उसकी जिज्ञासा बढ़ गई और उसने धीरे से अलमारी का दरवाजा खोला । अंदर उसे कुछ पुराने कपड़े और किताबें मिलीं, लेकिन सबसे ऊपर एक डिब्बा रखा था । रोहन ने डिब्बा खोला और देखा कि उसमें चावल के पापड़ थे ।
रोहन को पापड़ बहुत पसंद थे, इसलिए उसने एक निकाल लिया । तभी अचानक उसे एक नन्ही सी गिलहरी दिखी जो अलमारी के एक कोने में छुपी हुई थी । गिलहरी भी पापड़ खाने की कोशिश कर रही थी । रोहन को गिलहरी बहुत प्यारी लगी । उसने पापड़ का एक टुकड़ा गिलहरी की तरफ बढ़ाया । गिलहरी ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद पापड़ खा लिया ।
रोहन ने दादी को बुलाकर सब कुछ बताया । दादी ने हंसते हुए कहा, "बेटा, यह गिलहरी यहाँ की स्थायी मेहमान है । यह रोज यहाँ आती है और मैं इसे पापड़ खिलाती हूँ ।" रोहन को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा । अब वह भी गिलहरी को रोज पापड़ खिलाने लगा ।
रोहन और गिलहरी की दोस्ती दिन-ब-दिन गहरी होती गई । वे अब बगीचे में भी साथ खेलते थे । रोहन गिलहरी को दौड़ाने के लिए छोटे-छोटे खेल सोचता और गिलहरी भी उसके साथ मस्ती करती ।
इस तरह एक पुरानी अलमारी, चावल के पापड़ और एक छोटे बच्चे की जिज्ञासा ने एक प्यारी सी दोस्ती की कहानी लिख दी ।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
(१) उत्तर लिखिए
१. किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त - स्नेह
२. हर समय अच्छी लगने वाली बात - प्यार
(२) उत्तर लिखिए
१. अच्छा प्रयत्न यही है - गिरे हुए को उठाना ।
२. यही अधोगति है - गिरे हुए को न उठा पाना ।
३) पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्ति का संदेश लिखिए ।
( जो गिरे हुए को .... कुछ पतन नहीं )
उत्तर : पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्ति से हमें यह संदेश मिलता है कि अगर हम मदद करने लायक है तो हमें मदद करनी चाहिए । अगर मदद करने के लायक होते हुए भी हम किसी की मदद नहीं करते तो इससे हमारा ही नुकसान है ।
कोष्ठक में दिए गए प्रत्येक/कारक चिह्न से अलग-अलग वाक्य बनाइए और उनके कारक लिखिए [ ने, को, से, का, की, के, में, पर, हे, अरे, के लिए ]
उत्तर: १) ने - कर्ता कारक - हमने राजा को देखा ।
२) को - कर्म कारक - पुलिस चोर को पकड़ेगी ।
३) से - कारण कारक - राम ने रावण को बाण से मारा ।
४) का - संबंध कारक - बुद्ध शांति का पाठ पढ़ाते हैं ।
५) की - संबंध कारक - आनंद की बहन पढ़ने में होशियार है ।
६) के - संबंध कारक - जतिन के पिता आज दिल्ली गए ।
७) में - अधिकरण कारक - मुंबई में सभ्य नागरिक रहते हैं ।
८) पर - अधिकरण कारक - पक्षी पेड़ पर बैठा है ।
९) हे - संबोधन कारक - हे भगवान ! मेरी रक्षा करो ।
१०) अरे - संबोधन कारक - अरे भाई ! आपने तो फसा दिया ।
११) के लिए - संप्रदान कारक - साधु के लिए रोटी लाओ ।
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